जस्टिस वर्मा के इलाहाबाद हाईकोर्ट ट्रांसफर का कड़ा विरोध

बार एसोसिएशन ने बुलाई आपात बैठक और कहा- आंदोलन करेंगे  

दिल्ली हाईकोर्ट के जज के बंगले में 15 करोड़ रुपए मिलने के बाद न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा को वापस इलाहाबाद हाईकोर्ट ट्रांसफर करने का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने इस फैसले का कड़ा विरोध जताते हुए आपातकालीन बैठक बुलाई। एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने कड़ा रुख अपनाते हुए जस्टिस वर्मा को यहां बैठने नहीं देने की चेतावनी दी है।

बार एसोसिएशन के अध्यक्ष अनिल तिवारी का कहना था, कि इलाहाबाद हाईकोर्ट कोई कूड़ादान नहीं है कि यहां किसी को भी भेज दिया जाए। हम इस फैसले के खिलाफ सोमवार को आमसभा की बैठक करेंगे और जरूरत पड़ी तो आंदोलन भी करेंगे। उन्होंने आगे कहा कि यदि आवश्यक हुआ तो वकील काम ठप करने से भी पीछे नहीं हटेंगे।

क्या इलाबाद हाईकोर्ट कूड़ादान है जो....

सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम के फैसले पर सवाल उठाते हुए उन्होंने कहा, कि क्या इलाहाबाद हाईकोर्ट कूड़ादान है? यहां पहले से ही न्यायाधीशों की भारी कमी है, नए न्यायाधीशों की नियुक्ति नहीं हो रही है, और ऐसे में इस तरह का फैसला न्यायपालिका की साख पर गंभीर सवाल खड़े करता है। बार एसोसिएशन के सचिव ने भी इस फैसले की आलोचना करते हुए कहा कि बार को न्यायाधीशों की नियुक्ति में कभी परामर्श नहीं दिया जाता, जिससे भ्रष्टाचार और न्यायपालिका में अविश्वास की स्थिति बन रही है। उन्होंने जोर देकर कहा कि इलाहाबाद हाईकोर्ट को कमजोर करने की किसी भी साजिश को सफल नहीं होने दिया जाएगा।

बार एसोसिएशन का कहना है कि यह मुद्दा केवल एक न्यायाधीश के ट्रांसफर तक सीमित नहीं है, बल्कि न्यायपालिका की साख और जनता के विश्वास से जुड़ा मामला है। ऐसे में बार एसोसिएशन इस फैसले के खिलाफ अंतिम दम तक लड़ाई लड़ने को तैयार है। सोमवार को आमसभा में इस मुद्दे पर निर्णय लिया जाएगा और आगे की रणनीति पर विचार किया जाएगा। यदि आवश्यक हुआ, तो एसोसिएशन बड़े स्तर पर विरोध प्रदर्शन करने की योजना बना सकता है। 

22मार्च25