रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध के खत्म होने की संभावना के बीच सोमवार को कच्चे तेल की कीमतों में लगातार चौथे दिन गिरावट आई। अमेरिका और रूस के बीच सऊदी अरब में शांति समझौते की संभावना के कारण कच्चे तेल के दामों में गिरावट आई। यदि रुस और यूक्रेन के बीच शांति समझौता होता है, तब रूस पर लगे प्रतिबंधों में ढील दी जाएगी, जिससे तेल की आपूर्ति बढ़ सकती है।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा लगाए गए टैरिफ भी गिरावट के कारण बने हैं, क्योंकि इससे वैश्विक अर्थव्यवस्था धीमी होने और ऊर्जा की मांग घटने का अंदेशा है। इस कारण ब्रेंट क्रूड और वेस्ट टेक्सास क्रूड (डब्ल्यूटीआई) दोनों में गिरावट आई है। विशेषज्ञों के अनुसार, रूस-यूक्रेन युद्ध में विराम और रूस पर प्रतिबंधों में ढील की संभावना से तेल की कीमतें और नीचे जा सकती हैं, क्योंकि इस स्थिति से वैश्विक ऊर्जा आपूर्ति में वृद्धि हो सकती है।
इसके बाद भारत, जो दुनिया में कच्चे तेल का तीसरा सबसे बड़ा उपभोक्ता है और अपनी जरूरतों का 85 प्रतिशत से ज्यादा कच्चा तेल आयात करता है, रूस-यूक्रेन शांति समझौते से लाभ उठा सकता है। रूस भारत का प्रमुख तेल आपूर्तिकर्ता है, और यदि रूस पर लगे प्रतिबंध हटते हैं, तब भारत को तेल के आयात में राहत मिल सकती है। रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण भारतीय तेल आयात में दिक्कतें आई थीं, लेकिन शांति समझौते से तेल व्यापार में सुधार हो सकता है। इसके अलावा, तेल की कीमतों में गिरावट से भारत में पेट्रोल-डीजल की कीमतों में कमी आएगी, जिससे वस्तुओं के परिवहन की लागत कम होगी और महंगाई में राहत मिलेगी। भारत की विकासशील अर्थव्यवस्था तेल की कीमतों पर निर्भर है, और तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव का सीधा असर महंगाई पर पड़ता है।
17 फरवरी 2025
